यह कॉमिक्स एप्रैल 2010 मे सौ. संपदा पाटोळे नामक महिलाने बनाया है। इस कॉमिक्स का शिर्षक ‘‘जिम्मेदारी किसकी’’ यह है। यह कॉमिक्स मतिमंद बच्चेकी परवरीश की समस्या के मद्देपर प्रकाश डालता है। इर कहानी में पत्नी अपने पतीसे कहती है की मै खाना बना रही हु तब तक आप इस बच्चे को संभालीये। तभी पती कहता है की मुझे टी.वी. देखना है और यह जिम्मेदारी तुम्हारी है। फिर वह मिहला अपनी सास से उस बच्चे को संभालने को कहती है, तो सास उसेही डाटती है और यह तेरे पिछले जनम का पाप है इसे तुही संभाल ऐसा कहती है। फिर वह महिला अपने बडे बेटे से उसके छोटे भाई को संभालने को कहती है, तब वह बडा बेटा मै दोस्त के घर खेलने जा रहा हूं, मुझे कोई काम मत बोलो ऐसा कह कर निकल जाता है। और अंत मे वह महिला अकेले में सोचती है की, क्या यह मतिमंद बच्चा क्या सिर्फ मेरा है, इसको संभालनेकी जिम्मेदारी सभीने उठाने की जरुरत नही।
Monday, April 26, 2010
मला शाळा मिळाली (मुझे स्कूल मिल गया)
यह कॉमिक्स एप्रैल 2010 मे निता चक्रनारायण नामक महिलाने बनाया है। इस कॉमिक्स का शिर्षक ‘‘मुझे पाठशाला मिल गयी’’ यह है। यह कॉमिक्स गुंगे-बहरे (Deaf & Dump) छात्रोकी पढाई की समस्या को लेकर है। पती और पत्नी अपने बच्चेके (जो की गुंगा-बहरा) पढाई को लेकर बेहद परेशान है। तभी पती को उसका दोस्त विशेष पाठशाला (स्पेशल स्कूलर) के बारें मे जानकारी देता है। वह यह बात अपनी पत्नी को बताता है। दोनो बेहद खुष होते है और वह उनके बच्चे का दाखला उस पाठशाला मे करा देते है। इस पाठशाला मे वह लडका खुब पढता है और वह ऐशी पाठशाला पाकर खुष होता है।
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Translation in English
This comics is made by Neeta Chakranarayan in April 2010. Title of this comics is ‘I got School’. This comic is based on the problem of education of Deaf & dump Students. Husband & wife both are in tension regarding the education of their Child (who is Deaf & Dump). At that time Husband’s friend gives information about theSpecial School . He (Husband) tells this information to his wife. Both become very happy & enrolls their child in that Special School . That child takes education & became happy by taking education from that Special School .
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Translation in English
This comics is made by Neeta Chakranarayan in April 2010. Title of this comics is ‘I got School’. This comic is based on the problem of education of Deaf & dump Students. Husband & wife both are in tension regarding the education of their Child (who is Deaf & Dump). At that time Husband’s friend gives information about the
हम होंगे कामयाब
यह कॉमिक्स एप्रैल 2010 मे ममता मोरे नामक महिला ने बनाया है। इस कॉमिक्स का शिर्षक ‘‘हम होंगे कामयाब’’ यह है। यह कॉमिक्स अंधोको दिजाने वाली सुविधाओंके अभावकी समस्या को दर्शाती है। इस कहानी में रोहीत नाम का लडका जो की अंधा है वह मतदान करने जाना चाहता है। जब वह मतदान के दिन मतदान करने उसके दोस्त के साथ जाता है, तब उन्हे पता चलता की, मतदान कक्ष के सामने रॅम्प भी नही है और ब्रेल लिपीसे मतदान करने की सुविधा भी नही है। यह देखके वह घुस्सा हो जाता है और आयुक्तालय मे इसकी रिपोर्ट देने जाता है। आयुक्तालय के अधिकारी को वह सब हकीकत बताता है तभी वह अधिकारी उसे उसकी समस्याका निराकरण करने का आश्वासन देता है। और मन में सोचता है ‘‘इन अंधोको कैसे पता चला की इनको भी मतदान का हक है, आगे से मुझे इस बात पर ध्यान देना पडेगा’’
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Translation in English...
This comic is made by Mamta More in April 2010. Title of this comic is “We will become Successful”. This comic focuses on problem in lack of facilities provided to blind people. In this story a boy named as Rohit who is blind, wanted to go for Voting. When he goes for voting at Voting Day with his friends, they realize that there is no Ramp in front of voting booth & no facility of voting in brail font. After watching this they all become angry & go to Commissioner Office to report about it. They tell the truth about problems to officer of Commissioner Office, then that office gives Promise to solve all the problems. And thinks that,” How blinds know that they have the rights of Voting? Now onwards I need to take care of it”
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Translation in English...
This comic is made by Mamta More in April 2010. Title of this comic is “We will become Successful”. This comic focuses on problem in lack of facilities provided to blind people. In this story a boy named as Rohit who is blind, wanted to go for Voting. When he goes for voting at Voting Day with his friends, they realize that there is no Ramp in front of voting booth & no facility of voting in brail font. After watching this they all become angry & go to Commissioner Office to report about it. They tell the truth about problems to officer of Commissioner Office, then that office gives Promise to solve all the problems. And thinks that,” How blinds know that they have the rights of Voting? Now onwards I need to take care of it”
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